इधर हज़रते अबूज़र ने सरमाया परस्ती के ख़िलाफ़ खुल्लमखुल्ला कहना खुरुउ कर दिया।
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बिना किसी लाग-लपेट, पाखण्डवाद और कूटनीतिक बयान के, मैं खुल्लमखुल्ला कहना चाहता हूं कि मैं इस पेंटिंग (?) से पूरी तरह सहमत हूं … =====
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डॉ साहब, देर से आ पाया, क्षमा… बिना किसी लाग-लपेट, पाखण्डवाद और कूटनीतिक बयान के, मैं खुल्लमखुल्ला कहना चाहता हूं कि मैं इस पेंटिंग(?) से पूरी तरह सहमत हूं… ===== “पेंटिंग” के सामने प्रश्नवाचक चिन्ह इसलिये लगाया क्योंकि यहां विद्वतजन उसे पेंटिंग मानकर बहस कर रहे हैं, जबकि वह एक “उचित और करारा” जवाब भर है, कोई कलाकृति नहीं…।